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नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
अर्थ- त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
अर्थ: हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल read more तन छार लगाये॥
शिव आरती
शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥